हिन्दी कविता : रंग रंग रंग के रंग हजारों कौन से रंग में रंगूँ मैं, बेशुमार बेलगाम उम्मीदें किन बेरंग को रंगूँ मैं, बढ़ा हाथ थामले अंगुली "रूह" किस रंग में रंगूँ मैं। - सुरिन्दर सिंह "रूह"